श्रीविभूतिः

स्वयंभू श्रीझाडखण्डनाथ शिव ज्योर्तिलिंग तीर्थ स्थली की श्री विभूति का चमत्कारी महत्व है। जैसा सर्वविदित है। कि भोलेनाथ को भभूत (भस्म) अधिक प्रिय है। इसी वजह से अनेको प्रसंगो मे शंकर को अपने शरीर पर भस्म को लपेटे बताया जाता है। श्री झाडखण्डनाथ तीर्थ स्थली में यह स्थान जहां बाबा गोविन्द्नाथ ने सर्वप्रथम धूनि जमाकर अग्नि प्रज्जवलित की थी और यह आजतक यूहीं प्रज्जवलित है। इस प्रसंग का हमने ऊपर वर्णन भी किया है धूनि कुण्ड के नाम से यहां जो भस्म बचती है वह श्री विभूति कहीं जाती हे। इसे भोलेनाथ का प्रसाद भी कहा जाये तो गलत नही होगा। श्री विभूति पर लोगो का अटूट श्रद्धा व विश्वास है ऐसी मान्यता है कि यह दवा का भी काम करती है। इसके पीछे कोरा अंध विश्वास न होकर वैज्ञानिक कारण भी हे। यह एक बरसों से न बुझने वाले कुण्ड का भाग है। तथा इस अग्नि कुण्ड के यज्ञ में काम आने वाली अनेको जड़ियो बुटियो से निर्मित सामग्री का उपयोग होता है। जिनका अवशेष इस भस्म में रहने के कारण औषधी का काम भी करती है। इसलिये श्री विभूति कि इतनी अधिक आस्था सर्व में व्याप्त है। कि देश के भूतपूर्व कई माननीय राष्ट्रपति से लेकर अनेको महात्मा इस पर अटूट विश्वास के साथ इसे प्राप्त करने के लिये हमेशा लालायित रहते है। कुछ लोगो का तो यहां तक कहना है कि वह इस श्री विभूति का बरसो से सेवन कर रहे है। इससे उनका स्वास्थ तो ठीक रहता ही है साथ ही रोज इसे लेने से इनके बिगडे कामों मे सुधार स्वतः हो जाता है। यह श्री झाडखण्डनाथ महादेव कि महिमा ही तो है। जो श्री विभूति के रूप मे जनकल्याण कर रहीं है ऐसी दुर्लभ श्री विभूति का सेवन कैन नहीं करना चाहेगा। रोज सांय आरती के बाद यहां के वर्तान व्यवस्थ्ज्ञापक श्री रतनलाल जी सोमानी अपने हाथ से आये हुए शिव भक्तों को श्री विभूति देते है जिसे लोग पूर्ण विश्वास व श्रद्धा के साथ लेते है।

सेवक दलः

यह कोई सेना या सेवकों का दल नहीं है वरन् भगतों ने स्वयं यहां के त्यौहारो के लिए अपनी सेवाए देने के लिए तत्परता को ही दल से संज्ञा दे रही है। जो लगातार व्यवस्था को सूचारू चलते रहने के लिए अपने आप तत्पर रखते है। यही कारण है कि भोले बाबा के सेवको में एक परिवार के समान संबध हो गए है जो जाति मजहब से ऊपर है। ऐसा सौहाद पूर्ण वातावरण है श्रीझाडखण्डनाथ  महादेव का जो केवल सेवा भाव ही उत्पन्न करता है लोगो में